सुबह जल्दी उठने की आदत : हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये. हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर majority की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते. लेकिन आज जो article  मैं आपसे share कर रहा हूँ इस पढने के बाद आपकी सफलता की  probability निश्चित रूप से बढ़ जाएगी.

सुबह जल्दी उठने की आदत
सुबह जल्दी उठने की आदत
तो आइये जानें कि हम कैसे डाल सकते हैं सुबह जल्दी उठने की आदत

गलत  strategy के  साथ  सुबह  उठने  की  आदत  डालना  मुश्किल  है  पर  सही  strategy के  साथ  ऐसा  करना  अपेक्षाकृत  आसान  है .

सबसे  common गलत  strategy है  कि  आप  यह  सोचते  हैं  कि  यदि  सुबह  जल्दी  उठाना  है  तो  बिस्तर  पर  जल्दी  जाना  सही  रहेगा . तो  आप  देखते  हैं  कि  आप  कितने  घंटे  की  नीद  लेते  हैं , और  फिर  सभी  चीजों  को  कुछ  गहनते  पहले  खिसका  देते  हैं . यदि  आप  अभी  midnight से  सुबह  8 बजे  तक  सोते  हैं  तो  अब  आप  decide करते  हैं  कि  10pm पर  सोने  जायेंगे  और  6am पर  उठेंगे .  सुनने  में  तर्कसंगत  लगता  है  पर  ज्यदातर  ये  तरीका  काम  नहीं  करता .

ऐसा  लगता  है  कि  sleep patterns को  ले  के  दो  विचारधाराएं हैं . एक  है  कि  आप  हर  रोज़  एक  ही  वक़्त  पर  सोइए  और  उठिए . ये  ऐसा  है  जैसे  कि  दोनों  तरफ  alarm clock लगी  हो —आप  हर  रात  उतने  ही  घंटे  सोने  का  प्रयास  करते  हैं . आधुनिक  समाज  में  जीने  के  लिए  यह  व्यवहारिक  लगता  है . हमें  अपनी  योजना  का  सही  अनुमान  होना  चाहिए . और  हमें  पर्याप्त  आराम  भी  चाहिए .

दूसरी  विचारधारा  कहती  है  कि  आप  अपने  शरीर  की  ज़रुरत  को  सुनिए  और  जब  आप  थक  जायें  तो  सोने  चले  जाइये  और  तब  उठिए  जब  naturally आपकी  नीद  टूटे . इस  approach की  जड़  biology में  है . हमारे  शरीर  को  पता  होना  चाहिए  कि  हमें  कितना  rest चाहिए , इसलिए  हमें  उसे  सुनना  चाहिए .

Trial and error से  मुझे  पता  चला  कि  दोनों  ही  तरीके  पूरी  तरह  से  उचित  sleep patterns नहीं  देते . अगर  आप  productivity की  चिंता  करते  हैं  तो  दोनों  ही  तरीके  गलत  हैं . ये  हैं  उसके  कारण :

यदि  आप  निश्चित  समय  पे  सोते  हैं  तो  कभी -कभी  आप  तब  सोने  चले  जायेंगे  जब  आपको  बहुत  नीद  ना  आ  रही  हो . यदि  आपको  सोने  में  5 मिनट  से  ज्यादा  लग रहे  हों  तो  इसका  मतलब  है  कि  आपको  अभी  ठीक  से  नीद  नहीं  आ  रही  है . आप  बिस्तर  पर  लेटे -लेटे अपना  समय  बर्वाद  कर  रहे  हैं ; सो  नहीं  रहे  हैं . एक  और  problem ये  है  कि  आप  सोचते  हैं  कि  आपको  हर  रोज़  उठने  ही  घंटे  की  नीद  चाहिए , जो  कि  गलत  है . आपको  हर  दिन  एक  बराबर  नीद  की  ज़रुरत  नहीं  होती .

यदि  आप  उतना  सोते  हैं  जितना  की  आपकी  body आपसे  कहती  है  तो  शायद  आपको  जितना  सोना  चाहिए  उससे  ज्यादा  सोएंगे —कई  cases में  कहीं  ज्यादा , हर  हफ्ते  10-15 घंटे  ज्यदा ( एक  पूरे  waking-day के  बराबर ) ज्यादातर  लोग  जो  ऐसे  सोते  हैं  वो  हर  दिन  8+ hrs सोते  हैं , जो  आमतौर  पर  बहुत  ज्यादा  है . और  यदि  आप  रोज़  अलग -अलग  समय  पर  उठ  रहे  हैं  तो  आप  सुबह  की  planning सही  से  नहीं  कर  पाएंगे . और  चूँकि  कभी -कभार  हमारी  natural rhythm घडी से  मैच  नहीं  करती  तो  आप  पायंगे  कि  आपका  सोने  का  समय  आगे  बढ़ता  जा   रहा  है .

गलत  strategy है  कि  आप  यह  सोचते  हैं  कि  यदि  सुबह  जल्दी  उठाना  है  तो  बिस्तर  पर  जल्दी  जाना  सही  रहेगा . तो  आप  देखते  हैं  कि  आप  कितने  घंटे  की  नीद  लेते  हैं , और  फिर  सभी  चीजों  को  कुछ  गहनते  पहले  खिसका  देते  हैं.

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