Manohar Joshi का सफर इस प्रकार है:
Manohar Joshi के पिता एक साधु हुआ करते थे और मनोहर जब छोटे थे तो कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उनमें सीखने की तीव्र इच्छा थी। उन्होंने छोटी उम्र से ही कड़ी मेहनत की और अंततः एक शिक्षक बन गये। मनोहर जोशी का जन्म 2 दिसंबर 1937 को नांदवी गांव में हुआ था। वह पढ़ाई के लिए मुंबई चले गए और अपनी शिक्षा का खर्च उठाने के लिए एक सैनिक के रूप में काम किया। उन्होंने कीर्ति कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में मुंबई नगर निगम में क्लर्क के रूप में काम किया। उन्होंने 27 साल की उम्र में एम.ए. पूरा किया और शिक्षक बन गये।
- शिक्षक: Manohar Joshi ने अपने करियर की शुरुआत एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में की। वह एक शिक्षा प्रेमी थे और शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध थे।
- राजनीति में प्रवेश: उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के बावजूद राजनीति में भाग लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने देश के लिए और अधिक सेवा करने का इरादा किया।
- भाजपा में शामिल होना: जब उन्होंने राजनीतिक दल में प्रवेश किया, तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए। उन्होंने भाजपा में अपना करियर शुरू किया और वहां से अपनी राजनीतिक उपलब्धियों को बढ़ाया।
- महाराष्ट्र से चीफ मिनिस्टर: Manohar Joshi ने महाराष्ट्र राज्य में उत्तराधिकारी नेता के रूप में उपेक्षित भूमिका निभाई। उन्होंने 1995 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव जीता और प्रदेश के विकास में योगदान दिया।
- राजनीतिक यात्रा का सार: उनकी यह यात्रा एक उदाहरण है कि कैसे एक शिक्षक ने अपने संघर्ष के माध्यम से राजनीतिक दुनिया में ऊपरी स्थान प्राप्त किया। उनके संघर्ष, समर्थन और नेतृत्व के कारण वे आज महान राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। मनोहर जोशी ने महाराष्ट्र में विभिन्न विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है, जैसे कि मुंबई मेट्रो रेल और अन्य महत्वपूर्ण अवसर।
- ग्रामीण विकास: उन्होंने गांवों में विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और अन्य सुविधाओं का विकास किया है।
जब वह शिव सेना में शामिल हुए तो उनका जीवन बेहतर हो गया। उन्होंने एक भिक्षु के रूप में शुरुआत की और फिर मेयर बने। बाद में गठबंधन सरकार आने पर वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री के रूप में भी पद संभाला। एक गरीब परिवार से आने के बावजूद, वह अपनी शिक्षा और स्मार्ट सोच के कारण विभिन्न भूमिकाओं में सफल होने में सक्षम थे। उन्हें राजनीति खेलने से ज्यादा लोगों की मदद करने की परवाह थी। बाला साहेब ठाकरे ने उन्हें पंत उपनाम दिया।
1961 को उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और कोहिनूर क्लासेज से अपना व्यवसाय शुरू किया। उनका उद्देश्य शिक्षा से वंचित युवाओं को तकनीकी शिक्षा देकर अपने पैरों पर खड़ा करना था।
Manohar Joshi की यह यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो उन्होंने शिक्षा और सेवा के क्षेत्र से लेकर राजनीति में सफलता प्राप्त करने के लिए की है।